द्रौपदी
उठो द्रौपदी वस्त्र संभालो, कृष्ण कहाँ अब आएंगे। द्वापर से कलयुग आया है, दानव अब बढ़ जाएंगे।। दुर्योधन दुहशासन से, दुष्कर्मी सम्मुख आएंगे। गुरु द्रोण व भीष्म पिता से, ज्येष्ठ मौन रह जाएंगे।। धर्मचिंतकों की सभाओं में, दुष्कर्म दृश्य सहे जाएंगे। ज्ञान धर्म नीति के सागर, खड़े शिथिल रह जाएंगे।। आदि शक्ति का वेश गढ़ो, इन दानवों का संहार करो। अग्नियुक्त तुम ज्वाला हो, दुष्कर्मों को तुम भस्म करो।। उठो सखी बदलाव बनो, कृष्ण छवि के बीज रचो।।